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गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

एक पुरानी बात



याद है मुझे अच्छी तरह
तुम्हें याद हो न याद हो
दिया था जब तुम्हें
अपनी शादी का निमंत्रण
तुम्हारे हाथों में
मुझे याद है अभी भी
जब तुमसे मिलने तुम्हारे घर
मैं आया जब पहली बार
चेहरे का रंग देखने लायक था
तुम्हारे होश फ़ाक्ता हो गए 
आखों का भी बुरा हाल था
आश्चर्य से भरी आँखें
बहुत खूबसूरत सी
और प्यारी आखें
याद है मुझे अच्छी तरह
तुम्हें याद हो न याद हो
एक लम्हा तुम्हारे दिल में
मुझे यकीं है ख्याल भी आया
कोई चाहने वाला ऐसा भी मिला
जो इश्क में जलता तो है
जलाना भी जानता है
घर की ढेहरी पर खड़े
तुम यही सोचते रहे
मैंने तो किया नहीं
जिसने किया भी प्यार तो ऐसे किया
और मैं आखों में अश्क बहाये
यही सोचता हुआ
कि काश पहले मिले होते
अपने घर चला आया
याद है मुझे अच्छी तरह
तुम्हे याद हो न याद हो ।
............आनंद विक्रम.........

1 टिप्पणी:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

कुछ बातें कभी भी भुलाये नहीं भूलती .
खुबसुरत अभिव्यक्ति