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रविवार, 26 अक्तूबर 2014

बहुत सुकून देती है 
तुम्हारी मखमली यादें 
अगर हो सके तो आज 
दिल की कोई बात कह दे 
कुछ दिन और गुजर जायेगा 
तुम्हारी यादों के सहारे 

…आनन्द  विक्रम। ……… 

शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

ख्याल जब उनका आता है
किसी और का ख्याल कहाँ आता है
निगाह में जब वो छाये हों
कोई और कहाँ दिखता है
नींद भी टूट जाती है
ख्याल जब उनका आता है
नींद जब नहीं आती
तो नाम उनका लेकर सोते हैं 

................ आनन्द विक्रम त्रिपाठी………

शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

यादों की गठरी 

अनजाने ही आज
यादों की पुरानी गठरियाँ
खुल गयी
कोई इधर गयी
कोई उधर गयी
कोई मेरे ठीक सामने
एक याद वो मिली
अपने हाथ में तुम्हारा हाथ लिए
बैठा था देखने रेखाएं
क्या पता था ?
इनमे मैं ही हूं
इसके बाद तो ना पूछो
जरा जरा सी यादें
मुझे निहारने लगी
कोई प्यार से
कोई दुलार से
किसी किसी का गुस्सा तो
आज भी जस का तस
बना हुआ है
अनजाने ही खुल गयी
ये गठरियाँ यादों की
....आनंद विक्रम ..........