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शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

करुणावती साहित्य धारा : करूणावती साहित्य धारा के नए अंक के लिए सभी सम्मानि...

करुणावती साहित्य धारा : करूणावती साहित्य धारा के नए अंक के लिए सभी सम्मानि...: करूणावती साहित्य धारा के नए अंक के लिए सभी सम्मानित रचनाकार अपनी रचनॉए लेख,कहानी, कवितॉए,साक्षात्कार ,संस्मरण आदि ५ जुलाई,२०१६ तक पत्रिका...

रविवार, 26 अक्तूबर 2014

बहुत सुकून देती है 
तुम्हारी मखमली यादें 
अगर हो सके तो आज 
दिल की कोई बात कह दे 
कुछ दिन और गुजर जायेगा 
तुम्हारी यादों के सहारे 

…आनन्द  विक्रम। ……… 

शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

ख्याल जब उनका आता है
किसी और का ख्याल कहाँ आता है
निगाह में जब वो छाये हों
कोई और कहाँ दिखता है
नींद भी टूट जाती है
ख्याल जब उनका आता है
नींद जब नहीं आती
तो नाम उनका लेकर सोते हैं 

................ आनन्द विक्रम त्रिपाठी………

शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

यादों की गठरी 

अनजाने ही आज
यादों की पुरानी गठरियाँ
खुल गयी
कोई इधर गयी
कोई उधर गयी
कोई मेरे ठीक सामने
एक याद वो मिली
अपने हाथ में तुम्हारा हाथ लिए
बैठा था देखने रेखाएं
क्या पता था ?
इनमे मैं ही हूं
इसके बाद तो ना पूछो
जरा जरा सी यादें
मुझे निहारने लगी
कोई प्यार से
कोई दुलार से
किसी किसी का गुस्सा तो
आज भी जस का तस
बना हुआ है
अनजाने ही खुल गयी
ये गठरियाँ यादों की
....आनंद विक्रम ..........

शनिवार, 23 नवंबर 2013

मन बड़ा चंचल निकला
मैं जो घर से निकला
तो मुझसे पहले वो निकला
पर फंसे जो कभी किसी मोड़ पर
मन तो भाग निकला
उससे बड़ा जिगर वाला तो दिल निकला
……………। आनंद विक्रम

शनिवार, 14 सितंबर 2013

                                          हमारी हिंदी

बेचारी हमारी हिंदी, कितने जुल्मों सितम झेलती है ,उसके चाहने वालों पर कितना कहर बरपाया जाता है ये तो हम आप अच्छी तरह से जानतें हैं ,इसकी लड़ाई तो अपनों से ही ज्यादा है ……… कभी क्षेत्रवाद का दंश झेलती है तो कभी  विदेशी भाषा के सामने अपने ही हमारी भाषा को नीचा दिखाते है ,आखिर क्यों ? आज हिंदी भाषा में पढाई करने वाले बच्चे अपने को कुंठित महसूस करतें है । बहुत ज्यादा विस्तार में जायेंगे तो शायद चर्चा बहुत बड़ी हो जाए……………………एक छोटी सी बात ! इस देश में रहने वाले कितने लोग इस देश की भाषा में दस्तखत करना पसंद करतें है और ये बात अपने दिल पर हाथ रखकर कहिये ,आपको इस देश की मिटटी की कसम । मैं अपने एक छोटे से अनुभव के बारे में बताता हूँ कि महीने में एक बार संभवतः मुझे एक समारोह में जाना पड़ता है और सभी को अपनी उपस्थिति एक जगह दर्ज करानी पड़ती है  । आप विश्वास नहीं करेंगे एक - दो लोगों को छोड़कर और सभी लोगों के दस्तखत सबकी प्यारी दुलारी भाषा अंग्रेजी में होतें है ………………। अगर कोई काम  करना  है तो कल से नहीं बल्कि आज से ही करतें  है और अभी  से वो भी अपने दस्तखत हिंदी में करके । मैं १००% दावे से कहता हूँ कि आपको इतना सुकून मिलेगा कि जैसे कुछ खोया हुआ मिल गया  ………………आनंद  विक्रम ।

मंगलवार, 3 सितंबर 2013

कोई ख़ुशी हो
तो न बांटना न सही
तेरा कोई गम तुझे परेशां करें
बेझिझक चले आना
बहुत उम्र गुजार दी हमने
जलते जलते
दोनों बैठ कर
बाँट लेंगे आधा आधा ।
…………आनंद  विक्रम