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सोमवार, 6 मई 2013

      क्या भला 


मेरे अज़ीज़ हर एक चीज की बात करो
एक इश्क के सिवा
अपना दर्द बाटों जहां की बात करो
बेदर्द दिल के सिवा
घर का हाल बताओ मोहल्ले की बात करो
नाकाम मोहब्बत के सिवा
साजो सामान ,घर के बंदोबस्त की बात करो
दिल ए हमदम के सिवा
है क्या भला इसमें
खाक हो जाने सिवा ।
............आनंद विक्रम .....

3 टिप्‍पणियां:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

Why Untitled .... ??
बहुत सी चीजें ऐसी
जो खाक होकर
लाख की होती .....

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

title = क्या भला

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

खूब लिखा है ...