जानवर
कुछ जानवर घूम रहें
आदमी के भेष में
इन जानवरों को
भूख नहीं अन्न की
ये तो भूखे प्यासे हैं
वासनाओं की भूख के
जन्में जिस कोख से
उसी कोख से ये
दरिंदगी दिखा रहे
भूख नहीं अन्न की
उसी कोख से ये
भूख भी मिटा रहे
आदमी के भेष में
कुछ घूम रहे जानवर
होशियार खबरदार
भेडियों से भी जंगली
हैं दरिन्दे ये जानवर
बहु, बेटी और बच्चियों के
भूखे हैं ये जानवर
आदमी के भेष में
कुछ घूम रहें जानवर
..........आनंद विक्रम......
जानवर
कुछ जानवर घूम रहें
आदमी के भेष में
इन जानवरों को
भूख नहीं अन्न की
ये तो भूखे प्यासे हैं
वासनाओं की भूख के
जन्में जिस कोख से
उसी कोख से ये
दरिंदगी दिखा रहे
भूख नहीं अन्न की
उसी कोख से ये
भूख भी मिटा रहे
आदमी के भेष में
कुछ घूम रहे जानवर
होशियार खबरदार
भेडियों से भी जंगली
हैं दरिन्दे ये जानवर
बहु, बेटी और बच्चियों के
भूखे हैं ये जानवर
आदमी के भेष में
कुछ घूम रहें जानवर
..........आनंद विक्रम......
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
साझा करने के लिए आभार...!
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