तेरे बहाने मैं भी मुस्करा लेता हूँ
वर्ना रोने के सिवा मुझे आता क्या है
सच्चाई इन आंसुओ से पूछो
जो भूले से भी मुस्कराया हूँ
तो बह निकले हैं
................आनंद विक्रम ...
वर्ना रोने के सिवा मुझे आता क्या है
सच्चाई इन आंसुओ से पूछो
जो भूले से भी मुस्कराया हूँ
तो बह निकले हैं
................आनंद विक्रम ...
2 टिप्पणियां:
वाह...
बहुत खूब !!
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