दिल करता है कि कुछ कहूं आपसे ..........आप बैठे..मुझे सुनते रहें ,हम अपनी कहें आप अपनी कहें .....यूं कहने.. सुनने में... वक़्त गुजर जाएगा..
आपने देखा ...
शुक्रवार, 27 जुलाई 2012
दिल की बात
न जाने कौन सी बात है
दिल में बैठी हुई
न कह पा रहा हूँ
न सह पा रहा हूँ
जानता हूँ दिल में जो बात है
जो पाकर अकेले में
रास्ता घेर लेती है
भरी भीड़ में न जाने कैसे
दिल में बैठी हुई बात
आँख से निकल पड़ती है
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