लड़की का सपना
उस लड़की का एक था सपना
ससुराल होगा घर सा अपना
दोस्त जैसा पति होगा
माँ जैसी होंगी सास
ससुर होंगे पिता समान
होंगे सब दिल के धनवान
बेटी जैसा देंगे प्यार
ननद पाउंगी बहन समान
जिससे होंगी बातें चार
हलके होंगे दिल के भार
कामों में भी मदद करेगी
बहना जैसी खूब लड़ेगी
भैया जैसा होगा देवर
छोटकू जैसे रहेंगे तेवर
दुःख -सुख में रहेगा संग
कभी नहीं करेगा तंग
उस लड़की के यही थे सपने
पर हो न पाए उसके अपने
दहेज़ में पैसे की मांग
उस लड़की का बन गया काल ।
आनंद
रचना पर आप सभी की टिपण्णी चाहूँगा ।
8 टिप्पणियां:
हमारे समाज के कड़वी सच्चाई है ये...
सार्थक रचना.
अनु
अनु जी आपका कहना सही है । टिप्पणी के लिये धन्यवाद ।
अनु जी आपका कहना सही है । टिप्पणी के लिये धन्यवाद ।
SACH HI LIKH DIYA HAI AAPNE .AABHAR
समाज का कटु सत्य
सबसे बुरा और दर्दनाक पहलू...
मार्मिक रचना....
धन्यवाद रीना जी । स्वागत है ।
सटीक विवेचन .... सुंदर प्रस्तुति ....
संजय जी "साथी" की रचना पर उत्साहवर्धन टिप्पणी के लिये आभार । स्वागत है ।
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